क्या है पूरा मामला ?
Supreme Court on Freebies: सुप्रीम कोर्ट ने हाल में अपनी टिप्पणी में कहा है, कि राजनीतिक जिस तरह से चुनाव से पहले मुफ्त राशन, मुक्त बिजली, मुफ्त पानी इत्यादि सुविधाएं देने की घोषणा कर देते हैं वह सही नहीं है। यहां पर सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि राजनीतिक दल जिस तरह से लोगों को मुक्त की सुविधा दे रही है, तो उससे लगता है कि लोग काम करना पसंद नहीं करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्हें तो सारी सुविधाएं मुफ्त मिल ही जाएंगे। ऐसा खुद सुप्रीम कोर्ट ने कहा है।

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सुप्रीम कोर्ट की बेंच के अंदर जो दो जज है जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस अगस्टीन जॉर्ज ने इस तरह के प्रेक्टिस करने पर एतरा जताया कि चुनाव में मुफ्त की सुविधाएं देने का वादा नहीं करना चाहिए। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डाला गया था, जिसमें बोला गया था कि शहरी क्षेत्र में बेघर लोगों के लिए अपना घर होना चाहिए। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह जजमेंट दिया है। यहां पर उन्होंने साफ-साफ कहा कि इन लोगों को देश के विकास में भागीदार बनाने की जगह परजीवी का वर्ग खड़ा कर रहे हैं। महाराष्ट्र में भी चुनाव से पहले लॉड़की-बहिन योजना लाने का वादा किया गया, जिसमें 21 से 65 उम्र की महिलाएँ जिनके परिवार की सलाना आय ढाई लाख रुपए से कम है, उन्हें ₹1500 दिए जाने का वादा किया गया था।
किस तरह के वादे किए जा रहे हैं ?
वैसे तो मैं बता दूं की दिल्ली में इस बार 2025 के विधानसभा चुनाव बीजेपी तो जीत जरूर गई है, लेकिन अब सवाल यह आता है कि चुनाव के समय पर उसने जो लोगों से बड़े-बड़े वादे किए थे, उसे पूरा करने के लिए जितने पैसे की जरूरत पड़ेगी, तो वह पैसा कहां से आएगा ? देखिए दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने घोषणा पत्र में 16 वादे किए थे, जिसमें सबसे पहले कहा था कि जो फ्री बिजली, फ्री पानी और फ्री इलाज है उसे हम भी आगे भी चलाएंगे। मतलब जो आम आदमी पार्टी इस समय जितनी सुविधा दे रहे हैं, उन्हें आगे भी चलाते रहेंगे।

FREEBIES
इतना ही नहीं उन्होंने यह भी वादा किया कि हम महिलाओं के लिए ₹2500 पेंशन मासिक भी देंगे। इससे पहले आम आदमी पार्टी ने घोषणा किया था कि हम महिलाओं को ₹2100 पेंशन देंगे। उसके बाद कांग्रेस बोल दिया कि हम 2200 रुपए महीने पेंशन देंगे। तो आप समझ सकते हैं कि दिल्ली में किस तरह से कंपटीशन चल रहा था मुफ्त की सुविधाओं को बांटने में आगे रहने के लिए।
इतना ही नहीं बीजेपी ने यह भी कहा कि गर्भवती महिलाओं को ₹2100 दिया जाएगा और KG से PG तक मुफ्त में शिक्षा दिया जाएगा। ऐसे में बीजेपी के 16 वादे में से सात वादे पूरे करने के लिए लोगों के खाते में सीधे-सीधे उन्हें नगद पैसे जमा करने पड़ेंगे। इसके अलावा उन्होंने कहा था कि महिलाओं को एलपीजी सिलेंडर ₹500 में देंगे और होली व दीपावली में एक एक्स्ट्रा एलपीजी सिलेंडर भी देंगे। आगे उन्होंने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों जिनकी उम्र 60 से 70 वर्ष है, उनका पेंशन को हम 2000 से बढ़ाकर ₹2500 कर देंगे और जिनकी उम्र 70 वर्ष से ऊपर है, उनका पेंशन ₹2500 से बढ़कर 3000 कर देंगे। जो छात्र प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं उन्हें ₹15000 की सहायता राशि देंगे। तो दिल्ली चुनाव में इतने सारे वादे किये गए थे।
क्यों चिंताजनक हैं मुफ्त की रेवड़ियां ?
यहां पर याचिकाकर्ता कि तरफ से बेघर लोगों के लिए जब “राइट टू शेल्टर” फाइल किया गया था, तो उनके वकील प्रशांत भूषण ने उनका समर्थन किया और कहा कि देश में पहले से ही बेरोजगारी और भुखमरी की समस्या बहुत ज्यादा है। ऐसे में उन्होने माना कि मुफ्त में सुविधाएं देना सही है।
लेकिन जस्टिस गवई ने उन्हें बीच में ही टोका और कहा कि आपको एक पक्ष का ही ज्ञान है। यहाँ पर जज खुद कह रहे हैं कि वह एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं और महाराष्ट्र में चुनाव से पहले मुफ्त में सुविधा देने के कारण किसानों को मजदूर नहीं मिल पा रहे थे। मतलब खेती-बाड़ी करने में भी मजदूरों की जरूरत पड़ती है। लेकिन वहाँ पर मजदूर उपलब्ध ही नहीं थे, क्योंकि सरकार ने उन्हें सब कुछ मुउफ्त देने की घोषणा कर दिया था। इसके कारण से लोग काम करने को भी तैयार नहीं थे। अब सोचने वाली बात है कि जब आपको बैठे-बैठे कैश और राशन मिल जाएंगे, तो आप काम क्यों करेंगे।
विकास के वादे जरुरी !
अगर यहां पर विकास से संबंधित वादे किये जाते हैं, तो वो तो ठीक है जिसमें यमुना की सफाई बहुत जरूरी है क्योंकि उसके पानी में गंदगी बहुत है। कूड़े का पहाड़ जमा हो गया है, तो इसको हटाना बहुत बड़ा चैलेंज है। मैन्युअल स्कैवेंजिंग फ्री दिल्ली इत्यादि अच्छी चीज हैं। लेकिन जब आप मुफ्त में सुविधाएं और कैश बांटने लग जाते हैं, तो उससे इस समय सुप्रीम कोर्ट नाराज हो गया है और इस तरह की टिप्पणी करदी है। अब देखना चाहिए कि राजनीतिक दल आगे भी मुफ्त सुविधा देने का वादा करेंगे या यह सब रुक जाएगा। आप इस विषय पर क्या सोचते हैं हमें जरूर बताइएगा।
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