Marshal Law: दक्षिण कोरिया में 2 राष्ट्रपतियों पर महाभियोग

परिचय

दोस्तों, दक्षिण कोरिया इस समय काफी बड़े राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। ऐसे में दुनिया इस असमंजस में पड़ गई है कि अब दक्षिण कोरिया कैसे चलेगा क्योंकि आज से 3 हफ्ते पहले ही दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून- सूक-योल को Marshal law लाने के काऱण महाभियोग लाकर हटा दिया गया था। उसके बाद होन-डक-सू कार्यवाहक राष्ट्रपति बने मगर उन पर भी महाभियोग लगा दिया जा चुका है। ऐसे में अब यह समझ से पड़े है कि दक्षिण कोरिया को कौन चलाएगा और वहां पॉलीटिकल लीडरशिप किसके हाथों में जाएगा। तो इस ब्लॉग में आपको बताएंगे की साउथ कोरिया में आखिर इतना बड़ा पॉलीटिकल क्राइसिस क्यों आया है। चलिए शुरू करते हैं।

पूरा मामला क्या हैं ?

सबसे पहले आपको पूरी बात बताते हैं। आज से तीन हफ्ते पहले यानी 14 दिसंबर को राष्ट्रपति यून-सुक-योल को महाभियोग लाकर हटा दिया गया था। उसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री होन-डक-सू को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था। मगर 27 दिसंबर को फिर से दक्षिण कोरियन सांसद होन-डक-सू पर भी महाभियोग लगा दिया गया और इस समय पर यून-सुक-योल को गिरफ्तार करने की मांग की जा रही है क्योंकि उन्होंने अपने राष्ट्रपति पद की शक्ति का उपयोग कर मार्शल लॉक लगाकर सुरक्षा बल की मदद से जांच एजेंसियों को संसद के अंदर घुसने ही नहीं दिया था, जिससे वह उस समय गिरफ्तार होने से बच गए। ऐसे में इस समय दक्षिण कोरिया में बहुत राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है और यह सब 2022 के राष्ट्रपति चुनाव के बाद से ही वहां पर होता नजर आ रहा है। उनके राष्ट्रपति पर तब से ही धांधली के आरोप लगते रहे हैं कि इन्होंने गलत तरीके से चुनाव जीता है। ऐसी समस्या हमारे देश में भी होती नजर आती है जिसमें हारने वाली पार्टी ईवीएम घोटाले का आरोप लगाते हुए पाया जाता है जबकि यही पार्टी दूसरी जगह जीतने पर लोकतंत्र की जीत बताते नजर आते हैं।

पहले राष्ट्रपति यून-सुक-योल को क्यों हटाया गया ?

अब आपको बताते हैं कि यहां पर पहले वाले राष्ट्रपति यून-सुक-योल को क्यों हटा दिया गया था, जिससे आपको सब कुछ क्लियर हो जाए। देखिए 14 दिसंबर को राष्ट्रपति यून-सुक-योल दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ को लागू कर देते हैं। मार्शल लॉ एक तरह का आपातकाल होता है और इसकी वजह उन्होंने बताया कि हमारे देश को उत्तरी कोरिया से खतरा है।जब किसी देश में मार्शल लॉ लगता है, तो वह देश सेना के नियंत्रण में आ जाता है और तब वह किसी को भी शांति भंग करने के आरोप में अरेस्ट कर सकती है। मगर यह बात दक्षिण कोरिया के लोगों को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा क्योंकि मार्शल लॉ किसी भी देश में तभी लगाया जाता है जब देश में गृह युद्ध की स्थिति बन रही हो। मगर तब दक्षिण कोरिया में ऐसा कुछ नहीं नजर आ रहा था। उसके बावजूद दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ लगा दिया था। इसके चलते उनके पार्टी के सदस्य और विपक्षी पार्टी के सदस्य सभी उनके विरोधी हो गए। आपको बता दूँ की यून की पार्टी का नाम “पीपल पावर पार्टी” है। 300 सीटों वाले संसद में यून के पास सिर्फ 108 सांसद हैं जबकि विपक्ष के पास 192 सांसद हैं।

दक्षिण कोरिया में आपको अध्यक्षात्मक शासन का रूप मिलेगा। मगर भारत में संसदीय शासन का रूप है। हमारे यहां पर जिन्हें सबसे ज्यादा सीट मिलती है, उन्हीं की पार्टी से ही प्रधानमंत्री बनते हैं। जैसे इस समय भाजपा की हमारे यहां बहुमत है एनडीए वाली सरकार में। इस तरह अध्यक्षात्मक शासन अलग होता है और संसदीय शासन अलग होता है। इसी कारण इस समय दक्षिण कोरिया में विपक्ष के पास संसद में सीट ज्यादा है। ऐसे में समस्या यह थी कि राष्ट्रपति यून-सुक-योल कोई निर्णय नहीं ले पा रहे थे और कोई बिल भी संसद से पास नहीं करा पा रहे थे। इसके चलते बोला जा रहा है कि उन्होंने वहां पर मार्शल लॉ लगा दिया था मगर उनके फैसले को संसद सिर्फ 6 घंटे के अंदर पलट दिया जिसमें 190 सांसदों ने बोल दिया कि यह मार्शल लॉ गैरकानूनी है और इसे इस समय नहीं लगाने की जरूरत है। इसके बाद यून-सुक़्-योल नेशनल टीवी पर आकर माफी मांगते हैं। मगर अब तक उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया था। इसके चलते वहाँ की संसद ने 204 वोट देकर यून के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित कर दिया और तब यून राष्ट्रपति पद से हट जाते हैं और प्रधानमंत्री हान-डक-सू कार्यवाहक राष्ट्रपति बन जाते हैं।

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अंतरिम राष्ट्रपति को भी क्यों हटा दिया गया ?

मगर प्रॉब्लम अभी भी खत्म नहीं हुआ। दक्षिण कोरिया में नियम है कि जब कोई राष्ट्रपति की अपने पद पर मृत्यु हो जाती है या वह त्यागपत्र दे देता है, तो वहां पर के प्रधानमंत्री को ही कार्यवाहक राष्ट्रपति मान लिया जाता है। इसके बाद प्रधानमंत्री हान-डक-सु को ही कार्यवाहक राष्ट्रपति बना दिया गया। मगर इसमें एक महत्वपूर्ण बात मैं आपको बताता हूं कि यून-सुख-योल पर महाभियोग प्रस्ताव पारित हो गया था। उसके बाद वहां कोर्ट में 9 जजों का बेंच बैठता है जिसमें कम से कम छह जजों को इसके पक्ष में वोट करना जरूरी था की यून-सुख-योल पर महाभियोग संवैधानिक है। लेकिन जो समस्या हुई कि कोर्ट में केवल 6 ही जज थे। ऐसे में प्रस्ताव पारित होने के लिए सभी जजों का एक मत होना जरूरी था। अगर एक भी जज मुकर जाते हैं तो कोर्ट में यून-सुक-योल के खिलाफ महाभियोग दोषपूर्ण हो जाता। मगर यहां पर जो सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी (डेमोक्रेटिक पार्टी) है, उन्हें लगने लगता है कि यहां पर सभी जज महाभियोग के पक्ष में सहमत नहीं हैं । उसके बाद वो यहां पर तीन अतिरिक्त जज को भी नियुक्त करने की कोशिश करने लगते हैं। उसके बाद जो इस समय कार्यवाहक राष्ट्रपति है, उनके द्वारा यहां पर इन तीन अतिरिक्त जजों को नियुक्त करने से रोक दिया जाता है। इसके बाद विपक्ष के सांसदों ने तर्क दिया कि जो कार्यवाहक राष्ट्रपति है, वह अभी भी पहले वाले राष्ट्रपति यून-सुक-योल के साथ मिले हुए हैं और इसलिए विपक्ष इन्हें भी हटा देने की हवा बना देती है। उसके बाद कार्यवाहक राष्ट्रपति हान-डक-सू को भी हटा दिया जाता है क्योंकि 300 सीटों में विपक्ष के पास 193 सीट है। इसके कारण यहाँ सभी विपक्षी लोग एक साथ आकर हान-डक-सू को भी हटा देते हैं।

दक्षिण कोरिया में राजनीतिक उत्तल-पुथल क्या बताता है ?

2022 में यून-सुक-योल राष्ट्रपति पद का चुनाव अच्छे मार्जिन से जीता था, जिसमें उन्हें 48.57% वोट मिला था।मगर आगे उनकी लोकप्रियता काफी घटती है, जिसमें बोला जा रहा है कि 2024 के सितंबर तक उनकी लोकप्रियता 20% प्रतिशत घट गई थी। वह अपने मेडिकल रिफॉर्म को लेकर लोगों के निशाने पड़ रहे हैं। जिस तरह दक्षिण कोरिया में महंगाई बढ़ रहा था, उससे भी ये लोगों के निशाने पर थें। इसके साथ में बोला जाता है कि उनका नागरिकों के प्रति व्यवहार भी दोषपूर्ण था। इसके कारण लोग इनसे नाराज थे। एक और आरोप लगा है की इनकी पत्नी, अमेरिकी पादरी से बहुत ही लग्जरी हैंडबैग गिफ्ट लिया था, जिसे बहुत बड़ा घोटाला माना जा रहा है क्यूंकि लोगों को यह रिश्वत लग रहा है, जिससे लोग काफी नाराज हैं। इस तरह से यह काफी विवाद में रहे हैं। इसी की वजह से दक्षिण कोरिया में इस समय राजनीतिक संकट आया हुआ है।

दोस्तों ऐसा दक्षिण कोरिया में पहली बार नहीं हो रहा है। जब भी दक्षिण कोरिया का नाम आता है, तब हम सोचते हैं कि उसने अपने इकोनामी ग्रोथ कितनी तेजी से ग्रो की है।बोला जाता है की लड़ाई-झगड़ा छोड़कर दक्षिण कोरिया विकास के पद पर चल पड़ा। उसके बावजूद वहां पर राजनीतिक संकट हमेशा से ही रहा है। उनके पहले राष्ट्रपति सिंगमन री 1948 में सत्ता में आते हैं और 1960 में उन्हें भी हटा दिया जाता है क्योंकि उन्होंने दावा किया था कि उनके सरकार को 1960 के चुनाव में 90% वोट मिलने वाला है जबकि लोग उनसे बिल्कुल भी खुश नहीं थे।
इसके बाद 1960 के बाद वहां पर सेना का शासन आ जाता है और तब सेना से ही एक नए प्रेसिडेंट पार्क-चंउग-ही बनते हैं और उनकी हत्या 1979 में हो जाती है। उसके बाद फिर दूसरे प्रेजिडेंट सेना से ही बनते हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने बहुत से अपने विरोधी को 1980 से 1988 के बीच अरेस्ट कराया था। इसके कारण उन्हें भी घूसखोरी के केस में मृत्यु दंड दिया जाता है। मगर बाद में इन्हें क्षमा कर दिया जाता है।

उसके बाद 1980 में दक्षिण कोरिया लोकतंत्र के रास्ते पर चल देता है मगर तब भी उनके राष्ट्रपति रोह-ह्यून की आत्महत्या से मौत हो जाती है 2008 में क्योंकि इन पर भी घोटाले का आरोप था जिसकी वजह से उन्होंने सुसाइड कर लिया था। उसके बाद वहां 2013 से 2017 के बीच पार्क-ग्युं -हे महिला राष्ट्रपति बनती हैं। मगर उनको भी करप्शन के केस में हटा दिया जाता है। तो ऐसी परिस्थितियाँ आपके दक्षिण कोरिया का इतिहास में हमेशा से देखने को मिलती रही है।

कल का जवाब

प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत का रैंक कौन सा है ?
A. 95
B. 132
C. 146
D. 159

सही जवाब (D)

आज का सवाल-:

क्या आप बता सकते हैं की

दक्षिण कोरिया के प्रथम राष्ट्रपति कौन हैं ?
A. सिंगमन री
B. पार्क ग्युं ही
C. कोर यो
D. सुन्जोंग

इसका सही जवाब आपको कल के ब्लॉग में मिलेगा, जिसमे हम दिल्ली चुनाव को डिटेल से कवर करेंगे।


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