परिचय
Economic slowdown China: दोस्तों, दुनिया की किसी बड़ी इकोनॉमी के अंदर जब आर्थिक मंदी आती है तो उसका प्रभाव दुनिया भर के बाकी देशों की इकोनॉमी पर भी पड़ता है। इस समय पर चीन के अंदर जिस तरह आर्थिक मंदी का दौर चल रहा है, उसका सीधा असर भारत की इकोनॉमी पर भी इस समय देखने को मिल रहा है। इसके बारे में आज के ब्लॉग में आपको बताऊंगा कि अगर चीन में यह मंदी ऐसे ही चलती रहे, तो उससे भारत के बाजार पर क्या प्रभाव पड़ेगा। यहां पर बहुत सारी बातें आपके जानने योग्य है। चलिए शुरू करते हैं और सबसे पहले बताते हैं कि चीन में इस समय हुआ क्या है।

चीन की इकॉनमी में हुआ क्या है ?

इस समय चीन के अंदर दूसरी तिमाही (जुलाई, अगस्त और सितंबर) के जीडीपी का जो आंकड़ा आया है, वह 2023 से अबतक सबसे निम्न स्तर पर देखने को मिल रहा है। यह आंकड़ा 4.6% बताया जा रहा है। मतलब चीन में जुलाई, अगस्त और सितंबर का जो कुल औसत जीडीपी ग्रोथ रहा, वह 4.6% है। मगर वहां की सरकार इसे 5% के ऊपर आने की संभावना बता रही थी, लेकिन जो जीडीपी का आंकड़ा आया है वह 5% से भी कम है। तो दुनिया के दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी के अंदर जो इस समय मंदी आया है, उसका असर दुनिया भर में हो रहा है जिसमें चाहे आप भारत के मसालों के निर्यात की बात करें या चाहे वैश्विक तेल के निर्यात की बात करें। तो यह सभी क्षेत्र चीनी मंदी से प्रभावित हो रहे हैं।
हालांकि इसको देखते हुए चीन की सरकार ने प्रोत्साहन पैकेज का ऐलान किया है। मगर फिर भी इस समय चीन की इकोनॉमी को संभालने में देरी लग सकती है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि चीन के अंदर अब तक डबल डिजिट ग्रोथ रही है। मगर इस बार या ग्रोथ सिंगल डिजिट पर आ गई। तो उससे वहां पर आर्थिक सुस्ती देखी जा सकती है। चीन में आर्थिक सुस्ती से ग्लोबल इकोनामी के लिए बुरे दौर आने वाले हैं।
भारत पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा ?
अगर हम इसका भारत पर असर की बात करें तो मान लीजिए कि इस समय चीन के अंदर वस्तुओं की मांग घट गई है, क्योंकि चीन में इस समय मंदी आई है। तो वहां के लोग की मांग घट जाएगी और इससे चीन के लोग सामान काम खरीदेंगे, जिससे वहां पर आयात घट जाएगा और जो सामान हम चीन को निर्यात करते थे, उन्हें हम अब निर्यात नहीं कर पाएंगे। तो ऐसा ही चीज, चीन में इस समय चल रहा है। बताया जा रहा है कि अभी चीन के अंदर भारत से निर्यात की दर में 23% गिरावट आ गई है, जो इस समय एक बिलियन डॉलर पर आ गई है। यह आंकड़ा अगस्त 2022 के बाद सबसे निम्न स्तर पर देखने को मिल रहा है। कुछ महीने पहले अगस्त तक हम लोग चीन को 1.7 बिलियन डॉलर का माल बेच रहे थे, मगर इस समय हम लोग सिर्फ उसे 1 बिलीयन डॉलर का माल ही भेज रहे हैं। यह आंकड़ा सिर्फ 1 महीने का है, जिससे हम चीन को 2024 के अगस्त महीने से कुछ पहले 1.7 बिलियन डॉलर का माल भेजा था। मगर यह अगस्त में गिरकर एक बिलियन डॉलर हो गया है। 2022 में अगस्त के महीने में हमने चीन को कल 0.91 बिलियन डॉलर का माल भेजा था, जो पिछले दो सालों का सबसे कम था।
चीन के साथ भारत का व्यापर घाटा क्यों बढ़ रहा है ?
यह चिंता का विषय इसलिए है, क्योंकि हमारा निर्यात चीन के अंदर लगातार कम होता जा रहा है। आंकड़ों को देखकर लगता है कि हमारा निर्यात पिछले 6 महीना से लगातार कम ही होता जा रहा है और संभलने का नाम नहीं ले रहा है। इसलिए यह चिंता की बात हो जाती है। बताया यह भी जा रहा है कि चीन के साथ जो हमारा निर्यात कम हुआ है, उसकी वजह से हमारा चीन के साथ व्यापार घाटा भी बढ़ गया है क्योंकि जाहिर सी बात है कि मान लीजिए हम चीन से 200 मिलियन डॉलर का सामान लेकर आ रहे हैं। मगर हमारा उसको निर्यात कम होता जा रहा है, तो उससे व्यापार घाटा तो बड़े बढ़ेगा ही ना । वर्ष 2024 में अप्रैल से अगस्त तक हमारा चीन के साथ कुल व्यापार घाटा 40 बिलियन डॉलर हो गया है। यह व्यापार घाटा पिछले किसी भी साल के मुकाबले सबसे ज्यादा है। यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत का जितना भी व्यापार घाटा है, इसका एक तिहाई मात्र चीन से है। हालाँकि भारत सरकार बहुत कोशिश करती है कि चीन के साथ हमारा आयात कम हो, मगर यहां उसके साथ आयात बढ़ता ही जा रहा है और निर्यात घटता ही जा रहा है। इसके कारण हमारा व्यापार घाटा निरंतर बढ़ता जा रहा है।

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चीन में आर्थिक मंदी का क्या कारण है ?
इसका पहला कारण अगर मैं आपको बताऊं, तो चीन के अंदर पिछले 11 क्वार्टर जीडीपी रिपोर्ट्स में आठ के आंकड़े का विकास दर 5% से भी कम रहे हैं। इसको देखकर हम कह सकते हैं कि चीन में इस समय पर मंदी छायी हुई है।
दूसरा सबसे बड़ा आर्थिक मंदी का जो कारण बताया जा रहा है, वह यह कि चीन में रियल स्टेट कारोबार काफी ज्यादा फल फूल रहा था। वहां पर नए-नए मकान, अपार्टमेंट और मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बन रहे थे। लोग फ्लैट खरीद रहे थे। मगर इस समय वहां की इकॉनमी वह क्रश हो गया है। तो चीन के मंदी में रियल एस्टेट का क्रैश होना बड़ी वजह माना जा रहा है।
तीसरा आर्थिक मंडी का कारण जो बताया जा रहा है वो ये की, चीन की सरकार पर कर्ज बहुत बढ़ गया है। इसके कारण वहां की सरकार को कर्ज मिलने में परेशानी आ रही है और वह विकास के कार्यों में खर्च नहीं कर पा रही है।
इसके अलावा चीन के बैंक काफी डरे हुए हैं। वहां के बैंक्स लोगों को इस समय उधार देने के मूड में नहीं दिखती है। उन्हें लगता है कि इस समय अगर वह लोगों को उधार देना शुरू करेंगे तो उनका पैसा डूब जाएगा।
चीन को इकोनामी सुधारने के लिए क्या करना चाहिए ?
अब आपको बताते हैं कि चीन में मंदी से निपटने के लिए वहां की सरकार कौन से कदम उठा रही है। देखिए यहां पर एक तरफ तो वहां की सरकार पैकेज निकाल रही है। वैसे तो यह पैकेज अपना काम लॉन्ग टर्म में दिखाएगा। मगर यहां पर शॉर्ट टर्म में देखे, तो चीन के लिए जो सबसे बड़ी प्रॉब्लम है वह यह कि, चीन के विकास को निर्धारित करने में निवेश महत्वपूर्ण फैक्टर है और रियल स्टेट एक्सपोर्ट का काफी बड़ा रोल है।मगर इस समय चीन की सरकार को घरेलू मार्केट पर ध्यान देना चाहिए, जिससे वहां पर डिमांड बढ़ाया जाए और जिससे चीन की जीडीपी को भी बढ़ाया जाए।
दूसरा जो है कि इस समय चीन इन्वेस्टमेंट को नए-नए सेक्टर जैसे इलेक्ट्रिक व्हीकल सोलर टेक्नोलॉजी इत्यादि पर लगा रहा है लेकिन हमें देखना होगा कि इससे कोई फायदा चिन्ह को मिलेगा या नहीं ऐसे में यह तो समय ही बताएगा
किसी भी इकोनॉमी को अगर आपको देखना है कि वह अच्छा काम कर रही है या नहीं. तो उसके लिए उस देश में क्रूड ऑयल की खपत को आपको देखना होगा। अगर चीन की बात करें तो वहां पर क्रूड ऑयल की मांग लगातार गिर रही है। वहां पर 2024 के पहले और दूसरे क्वार्टर में तो इसकी डिमांड नेगेटिव रही है। मगर तीसरे क्वार्टर में 0.2% ग्रोथ दिखाई दी। इससे लग रहा है कि इस समय चीन में क्रूड ऑयल का कोई डिमांड ही नहीं है, जिसके कारण साफ लग रहा है कि उनके इकोनामी नॉन परफॉर्मिंग हो रही है।
भारत के निर्यात पर कितना असर डालेगा ?
चीन में चल रहे इकोनॉमिक् स्लो डाउन भारत के लिए कितना खतरनाक है, उसे भी आपको बताता हूं। अगर आप 2024 में अप्रैल से अगस्त तक 5 महीने का आंकड़ा देखें तो हम चीन को जितना मूल्य का सामान निर्यात करते थे, उसमें 528 मिलियन डॉलर की कमी आई है। भारत चीन को 634 सेक्टर में निर्यात करता है, मगर उसमें से 305 सेक्टर के निर्यात वैल्यू में गिरावट आया है।
यहां पर सिर्फ दो ही सेक्टर में पॉजिटिव ग्रोथ नजर आते हैं जिनमें एक पेट्रोलियम और दूसरा वेजिटेबल आयल है। यहां पर पेट्रोलियम 14 प्रतिशत और वेजिटेबल ऑयल 13% निर्यात बढा है। इसके अलावा बाकी सभी सेक्टर में हमारा निर्यात चीन के साथ घटता नजर आ रहा है।
भारत सरकार क्या कर रही है ?
सरकार बार-बार यह करती रहती है कि हम चीन के साथ आयात कम करना चाहते हैं क्योंकि उसके साथ व्यापार घाटा बहुत ज्यादा है। इसके लिए सरकार के द्वारा बहुत सारे कदम भी उठाए गए थे, जिसके द्वारा कंप्यूटर, लैपटॉप, टैबलेट और स्टील के आयात पर बैन लगाए गए थे। सरकार लगातार भारत को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश में लगी हुई है, मगर आंकड़े देखकर हमें सच्चाई बहुत दूर नजर आती है क्योंकि चीन के साथ हमारा व्यापार घाटा निरंतर बढ़ता जा रहा है। ऐसे में इसे रोकना बहुत जरूरी हो जाता है।
निष्कर्ष
आपको हमारे ब्लॉग से यह बात पता चल गया होगा, कि जब भी कोई बड़ी इकोनॉमी पर किसी तरह का असर दिखता है तो उसका असर दुनिया भर में होता है। आप तब यह नहीं सोच सकते कि हम तो उससे बच ही जाएंगे। आज के समय पर पूरी दुनिया एक दूसरे से जुड़ी हुई है, जिससे कहीं पर भी कुछ होने पर बाकी देशों पर भी उसका असर देखने को मिलता है।